बुधवार, सितंबर 26, 2007

Gulzar saab conveys thanks.. शुक्रिया दोस्तो

शुक्रिया दोस्तो!


दोस्तो,

अब बड़े हो गये हो ना तो आप सबको दोस्त ही कहना चाहिये..इतने छोटे नहीं कि अब आपको बच्चों कह के बुलाऊं.. एक बार फिर शुक्रिया कि आप याद रखते हैं मुझे...और आप याद रखते हैं कि मैं एक साल और बड़ा हो गया हूं या बूढ़ा हो गया हूं.. लेकिन मैं भी नहीं भूलता कि आप सब भी एक साल और जवान हो गये हैं


मैं यहां आप सबकी मुबारक़-बाद क़बूल करता हूं.. आप सब को भी बहुत बहुत शुक्रिया मेरा..
मुझे इस जन्मदिन पर भी आप सब से बहुत से तोहफ़े मिले हैं... रू.ब.रू की एलबम मिली.. जिसमें आप सब की तस्वीरें हैं.. बहुत अच्छा लगा.. किताबें और म्युजिक मिला कई जगह से.. अच्छे काम की तारीफ़ भी मिली है तो हल्के और बुरे काम की निंदा भी ( क्रिटिसिस्म ) भी मिला...

मैं आप सबको गौर से सुनता भी हूं और सोचता भी हूं..
कोई जोश में आकर "पापे आप तो पोप हैं" कह दे तो वो भी समझता हूं कि बड़ा फ़िल्मी है और जब ग़ालिब से तुलना करने लगे, तौबा तौबा कह के अपने कान पकड़ लेता हूं.. हालांकि मुझे पकड़ने उसके चाहिये जिसने ये नालायकी की है ..मैं जानता हूं कि ना वो ग़ालिब का रुतबा जानता है ना उसे मेरी हैसियत का पता है.. सच तो ये है उसने शायद दोनो को ही नहीं पढ़ा है..

चलिये.. एक बार फिर शुक्रिया आप सब का... इन्शा-अल्लाह एक बार फिर मिलूंगा आपको.. जन्म दिन पे ही या उसके आस पास किसी भी रोज़..

शुक्रिया..

1 टिप्पणी:

प्रिया ने कहा…

aapko sirf ek baar pass se dekhne ki tammana hai.....bahut chote hai ham har tarah se ....shayad ye naseeb na ho hamhe